जिद्दी सोनू

सोनू एक होशियार और समझदार लड़का था | वह मुंबई में रहता था | उसने इस वर्ष सातवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी | उसे सभी प्यार करते थे, लेकिन जैसे कहा जाता है कि ज्यादा लड़-प्यार बच्चों को बिगाड़ देता है, उसी तरह सोनू भी बहुत जिद्दी हो गया था | उसका यही अवगुण उसके सारे गुणों पर पानी फेर देता था |

अभी उसकी गर्मियों कि छुट्टियाँ चल रही थी | इन छुट्टियों में वह अपने मामा के घर जाना चाहता था | बस फिर वह अपने माता-पिता से मामा के घर जाने कि जिद करने लगा | उसके मामा इंदौर में रहते थे | उसके पिता ने उसे समझते हुए कहा - " बेटे! तुम अपने मामा के घर जरूर जाना, लेकिन हम अगले सप्ताह चलेंगे | इस सप्ताह मुझे समय नहीं है और तुम अकेले अपने मामा के घर नहीं जा सकते" |

किन्तु सोनू हठ करने लगा और अब तो उसने तय कर लिया था कि वह अकेले ही अपने मामा के घर जायेगा | उसने फिर जिद करनी शुरू कर दी | सोनू के पिता ने उसे समझाया, किन्तु वह अपनी जिद के आगे किसी की भी बात नहीं माना | हारकर सोनू के पिता ने कहा - " ठीक है! तुम अपने मामा के घर जरूर जाओ, लेकिन रस्ते में ट्रैन से निचे मत उतरना, अपने सामान का ध्यान रखना, टिकिट संभालकर रखना एयर यदि कोई तुम्हे कुछ खाने को दे, तो उसे मत खाना" | उसकी मम्मीने उसके लिया रस्ते में खाने-पिने का सारा बंदोबस्त कर दिया | वह ख़ुशी-ख़ुशी अपने मामा के घर के लिए चल पड़ा |

सोनू ने अपने सामान के साथ ही रुपयों को रख दिया और सो गया | एक चोर ने यह भांप लिया कि यह बच्चा अकेला है, उसने सोनू के सोते ही उसका सामान उठाया और अगले स्टेशन पर उतर गया | सोनू जब सोकर उठा तो वह इंदौर के आगे निकल चूका था | उसका स्टेशन पीछे छूट गया था | उसका सामान चोरी हो चूका था और उसके सारे पैसे भी सामान के साथ ही चोरी हो चुके थे | उसे अपने पिता की बातों का याद आने लगी | उसने सोचा की यदि वह अपने पिता के साथ आया होता तो यह सब न होता |

वह घबरा गया और जोर-जोर से रोने लगा | तभी एक सिपाही और एक गार्ड उधर से गुजर रहे थे, उन्होंने सोनू को रट देखा, तो समझ गए कि यह रास्ता भटक गया | गार्ड ने सोनू से पूछा - " क्यों बेटे! तुम्हारा और तुम्हारे पिता का नाम क्या है,तुम कहाँ जा रहे थे?" सोनू ने गार्ड के सवालों का जवाब दिया | गार्ड ने सिपाही से कहा - "इसे इसके मामा के घर छोड़ आओ" | सिपाही सोनू को लेकर उसके मामा के घर पहुंच गया |

उसके मामा ने पुलिस को धन्यवाद् दिया और सोनू की स्तिथि को समझकर उसे समझाया कि अपने से बड़ों का सदैव कहना मानना चाहिए और जिद नहीं करनी चाहिए | उसके बाद उसने प्रण कर लिया कि वह अब कभी जिद नहीं करेगा हमेशा अपने माता-पिता का कहना मानेगा | 

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