सेवा का फल

बहुत पुरानी बात है| किसी शहर में किशन नाम का बढ़ई रहता था| वह रात-दिन मेहनत करता था, लेकिन फिर भी वह ज्यादा पैस नहीं कमा पाता था | जब उसने देखा कि इतनी मेहनत करने पर भी गरीबी उसका पीछा नहीं छोड़ रही है, तो उसने दूसरे शहर जाकर काम करने का निश्चया किया |

जब वह शहर जा रहा तह, तो उसे रस्ते में एक गाय मिलीं| गाय बहुत बीमार थी | किशन ने सोचा यदि वह गाय को ऐसे ही छोड़कर गया तो वह मर भी सकती है| गाय के साथ छोटा बछड़ा भी था, इसलिए किशन को उस पर दया आ गई और वह वहीँ रूककर उनकी सेवा करने लगा|

धीरे-धीरे गाय बिलकुल ठीक हो गई | किशन उनको लेकर शहर कि ओर चल दिया| शहर में एक जगह चलकर उसने गाय को बाँधा और रहने कि जगह ढूंढ़ने लगा | जब उसे कहीं जगह नहीं मिलीं तो वह पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा|

उसी वक्त एक राहगीर वहां से निकला और किशन से दूध कि मांग की | किशन ने तुरंत दूध दहा और उसे दे दिया | बदले में राहगीर ने उसे रूपये दिए | उन रुपयों से किशन ने अपने लिए खाने का सामान और गाय के लिए चारा खरीदा |

धीरे-धीरे इसी तरह किशन ने दूध बेचकर अच्छे पैसे जमा कर लिया | अब उसकी पत्नी और बच्चे भी शहर आकर उसकी मदद करने लगे थे | उनके पाद अब बहुत सी गायें हो गई थी |

किशन रोज सुबह जल्दी उठकर पहले गाय को चारा डालता, फिर दूध दुहता और गायों को चरने के लिए मैदान में छोड़ आता | उसके बाद वह दूध बेचने शहर चला जाता | इसी तरह धीरे-धीरे उसने होना कारोबार बढ़ा लिया | वह अपनी सभी गायों को बहुत प्यार करता था | उनकी सेवा करता था | अब किशन को कोई तकलीफ नहीं थी और वह बहुत अच्छे से रह रहा था | 

Comments