तीन मछलियां

एक तलान में बहुत सारी मचिलियन रहा करती थी | इन ढेर सारी मछलियों में टिनी, मिनी, रिनी भी थीं | तीनों बहुत अच्छी सहेलियां थी, लेकिन तीनों का ही स्वाभाव बहुत अलग था |

टिनी एकदम बड़ों की तरह व्यवहार करती थी | किसी भी काम को करने से पहले वह खूब सोच-विचार लेती थी |

मिनी थोड़ी चालक थी | वह जैसा वक्त होता था, वैसा फैसला लेकर हमेशा मुसीबत से बच जाती थी | वह हमेशा खुश रहती थी |

रिनी इन दोनों से बहुत अलग थी | वह किसी भी फैसले पर ज्यादा नहीं सोचती थी | उसका मानना था, जो भाग्य में लिखा है, वह होकर ही रहेगा| उसके इसी भाग्यवादी रवैए के कारण टिनी, मिनी उससे परेशान रहती थीं |

एक दिन टिनी किनारे पर घूम रही थीं, तभी उसने दो मछुआरों की बात सुनी | वे दोनों कह रहे थे, " वाह इस तालाब में कितनी मछलियां है, कल हम यहीं आकर मछलियां पकड़ेंगे" |

टिनी ने जैसे ही यह सुना, वह भागी-भागी रिनी-मिनी के पास आई और उन्हें पूरा वाकया कह सुनाया | टिनी ने अपना फैसला भी सुना दिया कि वह किसी मुसीबत में फंसना नहीं चाहती, इसलिए नहर के रस्ते आज ही दुसरे तालाब में चली जाएगी | उसने उन दोनों को भी नए तालाब में जाने कि सलाह दी | इस पर मिनी बोली कि वह मछुआरों के आने पर ही सोचेगी कि क्या करना है | और रिनी हमेशा कि तरह अपने भाग्य भरोसे बैठ गई |

अगले दिन मछुआरों ने जाल डाला, जिसमें मिनी, रिनी भी फंस गई | मिनी तुरंत बचने के उपाय सोचने लगी | अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया और वह ऐसी बन गई जैसे वह मरी हुई हो | मछुआरों ने उसे मरी हुई मानकर वापस तालाब में फेंक दिया | इस तरह अपनी बद्धिमानी कि वजह से वह बच गई |

इधर, रिनी बचने के लिए उछाल-कूद मचने लगी | मछुआरों कि नजर उस पर पड़ी तो उसे जल से निकालकर अपनी टोकरी में दाल दिया | जहाँ बिना पानी के थोई देर बाद वह मर गई |

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